हिजाब मामले में फ़्रांस को संयुक्त राष्ट्र की फटकार
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र संघ की जेनेवा स्थित मानवाधिकार कमेटी ने हिजाब के मामले में भेदभाव बरतने पर फ़्रांस को लताड़ लगाई है। एक हाई स्कूल में वयस्कों के लिए आयोजित किए गए शैक्षिक कार्यक्रम में भाग लेने वाली महिला को हिजाब पहनने से रोकने के मामले में मानवाधिकार कमेटी ने कहा कि फ़्रांस ने नागरिक व राजनैतिक अधिकारों से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन किया है।
कमेटी का यह फ़ैसला मार्च महीने में लिया गया था मगर बुधवार को इस फ़ैसले से याचीकर्ता के वकील को सूचित किया गया। यह फ़ैसला 2016 में की गई शिकायत के मामले में आया है जिसमें 1977 में जन्मी महिला ने कहा कि वर्ष 2010 में एक स्कूल में बड़ी उम्र के लोगों के लिए एक कार्यक्रम रखा गया जिसमें उसने हिजाब के साथ शामिल होना चाहा तो प्रिंसिपल ने उन्हें रोक दिया।
संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार कमेटी ने कहा कि याचीकर्ता महिला पर जो पाबंदियां लगाई गईं वह राजनैतिक व नागरिक आज़ादी के अंतर्राष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन हैं और इससे धार्मिक आज़ादी पर प्रहार होता है। याचीकर्ता के वकील ने कहा कि कमेटी का यह फ़ैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि अल्पसंख्यकों के अधिकारों के सम्मान का मामला है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की कमेटी का यह फ़ैसला फ़्रांस के उन अधिकारियों को मुंहतोड़ जवाब है जो अपना अलग राग अलापते रहते हैं कि वे धर्म के प्रतीकों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दे सकते।
फ़्रांस में कई साल से मुसलमान महिलाएं और लड़कियां भारी दबाव का सामना कर रही हैं उन्हें हिजाब के इस्तेमाल से रोका जा रहा है। फ़्रांस में हालिया वर्षों में इस्लामोफ़ोबिया की लहर भी लगातार बढ़ती रही है और मुसलमानों पर हमले तेज़ हुए हैं। इमैनुएल मैक्रां की सरकार में मुसलमानों के ख़िलाफ़ कई क़ानून भी पास किए गए जिससे उनकी ज़िंदगी में कठिनाइयां पैदा हुई हैं।
फ़्रांस की सरकार ने फ़रवरी 2022 में फ़्रांस की सरकार ने एक संस्था बनाई जिसका काम यह है कि मुसलमानों के तौर तरीक़ों को फ़्रांसीसी समाज के मुताबिक़ बदले। इस्लामी मानवाधिकार आयोग के प्रमुख मसऊद शजरे ने कहा कि मैक्रां खुलेआम इस्लाम पर हमले कर रहे हैं वो इस्लाम के लिए संकट पैदा करना चाहते हैं जबकि हक़ीक़त यह है कि फ़्रांस की नीतियां और यूरोपीय राजनेता ख़ुद गंभीर संकट में पड़ गए हैं।