1947 का बदला इंग्लैंड से भारत ने अब लिया!

1947 का बदला इंग्लैंड से भारत ने अब लिया!

Ind vs Aus women Series: भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरा वनडे मुकाबला। लॉर्ड्स का ऐतिहासिक स्टेडियम…! 30,000 दर्शकों की मौजूदगी में 20 सालों से भारतीय टीम की स्टार बॉलर झूलन गोस्वामी का विदाई मैच। भारतीय टीम के पास पहली बार इंग्लैंड में क्लीन स्वीप करने का मौका। काफी कुछ दांव पर था। इंग्लिश टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। इसी बीच कप्तान हरमनप्रीत कौर झूलन के गले लग कर बिलख पड़ी। जैसे छोटी बहन सीने से लग कर हर गम भुला देना चाहती हो। इस लम्हे को देखकर स्टेडियम और टीवी दोनों जगह मौजूद दर्शकों की आंखें नम हो गईं।

नेशनल क्रश कही जाने वाली धुरंधर ओपनर स्मृति मंधाना ने 79 गेंदों पर 50 रनों की संघर्षपूर्ण पारी खेली। उनकी जोड़ीदार शेफाली वर्मा ने शायद वीरेंद्र सहवाग का टैग कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया है। वह बगैर खाता खोले केट क्रॉस की गेंद पर बोल्ड हो गईं। ना यास्तिका भाटिया का बल्ला चला, ना हरमनप्रीत कौर का और ना ही हरलीन देओल का।

9वें ओवर की समाप्ति तक बोर्ड पर केवल 29 रन लगे थे और भारत ने 4 विकेट गंवा दिए थे। यहां से स्मृति का साथ निभाया दीप्ति शर्मा ने और 106 गेंदों पर 68 रनों की नाबाद पारी खेल डाली। कुल मिलाकर 46वें ओवर की चौथी गेंद पर 169 रन बनाकर भारतीय महिला टीम ऑल आउट हुई। स्कोर कम था लेकिन भारतीय गेंदबाजी में दम था।

देखते-देखते 12वें ओवर की समाप्ति तक 43 रन के स्कोर पर अंग्रेजों के भी 4 विकेट गिर गए। अगली झूलन गोस्वामी कही जा रही रेणुका सिंह ठाकुर ने 4 में से 3 विकेट चटकाए थे। इसके बाद 53 के स्कोर पर डेनियल व्याट और एनी जोंस ने भी टीम का साथ छोड़ दिया। ‘तू चल मैं आई’ की तर्ज पर 17वें ओवर की अंतिम गेंद पर फ्रेया केम्प को बोल्ड मारकर दीप्ति शर्मा ने इंग्लैंड को 7वां झटका दिया। विकेटों के पतझड़ के बीच चार्लट डीन नाम की लड़की डट गई। कहना पड़ेगा कि उसने भारतीय गेंदबाजों का पूरी दिलेरी से सामना किया। अबतक रेणुका ने 4, झूलन और राजेश्वरी गायकवाड़ ने 2-2 और दीप्ति शर्मा ने 1 शिकार कर लिया था।

ये भी पढ़ें  नॉन-स्ट्राइकर रन आउट नियम पर हार्दिक पांड्या का कड़ा बयान : 'अगर मैं अपनी क्रीज से बाहर हूं और कोई मुझे रन आउट करता है...'

36वें ओवर की दूसरी गेंद पर 118 के स्कोर पर इंग्लैंड को नौवां झटका लगा था लेकिन उसके बाद विकेट गिर नहीं रहे थे। डर लग रहा था कहीं डीन इंग्लैंड को मंजिल तक ना पहुंचा दे। पर 44वें ओवर की तीसरी गेंद पर उससे बड़ी गलती हो गई। स्ट्राइक पर पहुंचने की जल्दबाजी में बगैर दीप्ति के बॉल फेंके वह क्रीज से बाहर निकल गई और दीप्ति ने गेंद को नॉन स्ट्राइकर विकेट पर दे मारा।

80 गेंदों पर 47 रन बनाकर वह रन आउट हो चुकी थी। संघर्ष यूं जाया होता देखकर उसकी आंखों से आंसू बह निकले। पर उसने तुरंत खुद को संभाला और खेल भावना का परिचय देते हुए बॉलर दीप्ति से हाथ मिलाया। डीन जानती थी कि उससे गलती हुई। भारत ने मुकाबला 16 रनों से अपने नाम कर लिया था।

बाकी 2019 मेंस वर्ल्ड कप में बाउंड्री काउंट के आधार पर खिताब जीतने वाले इंग्लैंड के कुछ पूर्व खिलाड़ी आखिरी रनआउट को नैतिक तौर पर गलत बता रहे हैं। खैर, ईमानदारी और नैतिकता की बातें करने से पहले थोड़ा गिरेबान झांक लेते तो बेहतर होता।